Regular News Update - Published by: Admin Updated: December 24, 2025
जयपुर/डेस्क: राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में एक बार फिर परंपरा और आधुनिकता के बीच टकराव देखने को मिल रहा है। राज्य के [ज़िले का नाम] के एक गांव में जातिगत पंचायत (खाप) ने एक विवादित फैसला सुनाते हुए महिलाओं और अविवाहित युवतियों के स्मार्टफोन इस्तेमाल करने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है। पंचायत का दावा है कि स्मार्टफोन और सोशल मीडिया की वजह से गांव की 'सांस्कृतिक मर्यादा' धूमिल हो रही है।
गांव में हुई इस महापंचायत में बुजुर्गों और समाज के रसूखदार लोगों ने हिस्सा लिया। पंचायत के मुखिया के अनुसार, "युवतियां स्मार्टफोन का गलत इस्तेमाल कर रही हैं, जिससे परिवार की बदनामी होती है और आपसी कलह बढ़ रही है। समाज को बिगड़ने से बचाने के लिए यह सख्त कदम उठाना अनिवार्य था।"
हैरानी की बात यह है कि पंचायत ने न केवल पाबंदी लगाई है, बल्कि यह भी घोषणा की है कि अगर कोई युवती स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हुए पकड़ी गई, तो उसके परिवार पर 5,000 रुपये से लेकर 11,000 रुपये तक का आर्थिक जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही, बार-बार नियम तोड़ने पर परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने की चेतावनी भी दी गई है।
इस फैसले के सामने आने के बाद सोशल मीडिया और मानवाधिकार संगठनों में भारी आक्रोश है। महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि 21वीं सदी में इस तरह का 'तुगलकी फरमान' असंवैधानिक है। यह महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके विकास के अधिकार का सीधा हनन है। आज के दौर में शिक्षा और बैंकिंग जैसे जरूरी कामों के लिए स्मार्टफोन अनिवार्य है, ऐसे में यह बैन तर्कहीन है।
फिलहाल, स्थानीय प्रशासन ने इस मामले में सीधे तौर पर कोई कार्रवाई नहीं की है, लेकिन पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अब तक कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है। कानून विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में कोई भी पंचायत किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) को छीनने वाला कानून नहीं बना सकती।
1) - 21वीं सदी का भारत या तालिबान? राजस्थान के गांव में महिलाओं के
2) - दुबई एयरपोर्ट पर थमा बारिश का कहर, लेकिन रास अल खैमाह में
3) - बोंडी बीच नरसंहार: 'हीरो' अहमद अल अहमद ने हमलावर से छीनी बंदूक,
4) - ऑस्ट्रेलिया में दहशत: बोंडी बीच शूटिंग को 'आतंकी घटना' घोषित किया गया;
5) - राहुल गांधी से मिले लियोनेल मेसी, फुटबॉल स्टार ने भेंट की खास